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भारत के बूढ़े सपूत ने फिर हमको ललकारा है !

agnipusp
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भारत के बूढ़े सपूत ने फिर हमको ललकारा है !
युवकों ! उठो बढ़ो आगे, माता ने तुम्हें पुकारा है !!
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“गंगा” आज कराह रही है और “हिमालय” चीख रहा,
त्रस्त हुई मानवता का चेहरा मलीन है दीख रहा.
बेबस माताओं ने अपने रक्षक को धिक्कारा है !
युवकों ! उठो बढ़ो आगे, माता ने तुम्हें पुकारा है !!
भारत के इस “लौह पुरुष” ने फिर हमको ललकारा है !!
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प्राण गँवा देते परार्थ में, नहीं किसी से भय खाते,
इतिहासों में ऐसे ही वीरों के नाम लिखे जाते.
“पर उपकार प्राण दे देंगे” जिनका पावन नारा है !
युवकों ! उठो बढ़ो आगे, माता ने तुम्हें पुकारा है !!
“अन्ना” जैसे वृद्ध युवा ने, फिर हमको ललकारा है !!
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तूफानी लहरें आये अथवा प्रचण्ड आँधी आये,
बढ़ते हुए लौह क़दमों को कोई नहीं रोक पाये.
दृढ़ निश्चय के सम्मुख तो विधि का विधान भी हारा है.
युवकों ! उठो बढ़ो आगे, माता ने तुम्हें पुकारा है !!
भारत के बूढ़े सपूत ने फिर हमको ललकारा है !
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एक “संत” ने हमें दिलाया, अंग्रेजों से छुटकारा,
एक “संत” ने आज दिया “जनलोकपाल” का है नारा.
सवा अरब जनता की उम्मीदों का एक सहारा है.
युवकों ! उठो बढ़ो आगे, माता ने तुम्हें पुकारा है !!
भारत के इस वृद्ध पुरुष ने फिर हमको ललकारा है !

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