agnipusp
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मातृभाव पर मुखरित रहते,
पितृभाव पर रहते मौन !
दर्द पिता का समझे कौन ?
.
पालन-पोषण-संरक्षा में
उम्र बीत जाती जड़ता में !
स्वयं टूटता है, जुड़ता है,
स्वयं बरस रह जाता मौन !
दर्द पिता का समझे कौन ?
.
तिल-तिल कर जलता रहता है,
चिंता में घुलता रहता है,
सारा दर्द छिपाकर अपने
सीने में रहता है मौन !
दर्द पिता का समझे कौन ?
.
गगन पिता है, पवन पिता है,
यज्ञ पिता है हवन पिता है !
उसकी त्याग-तपस्या पर यह
सारा जग क्यों रहता मौन ?
दर्द पिता का समझे कौन ?
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