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धधका दो ऐसा क्रोधानल, पापी हो जाये क्षार-क्षार !!

agnipusp
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The_Fire_Dragon_by_fire_doused

सवा अरब बेटों की माता आज लगाती है गुहार !
तन्द्रा त्यागो, चैतन्य बनो, अब धारण कर लो महाकार !
मुट्ठी भर कायर-नीचों की छाती पर चढ़कर करो वार !
धधका दो ऐसा क्रोधानल, पापी हो जाये क्षार-क्षार !!
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कितने दिन तक बातों की रोटी पेट भरेगी दीनों का !
कितने दिन बल-पौरुष पर पहरा लगा रहे संगीनों का !
कितने दिन शिशुओं की आँखों से नीर बहेगा जार-जार !
धधका दो ऐसा क्रोधानल, पापी हो जाये क्षार-क्षार !!
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जनता पर स्वर्णिम जाल फेंक, करते हैं भीषण अट्टहास !
उस काल-सर्प को भूल गए जो भ्रमण कर रहा आस-पास !
मारो दहाड़, हिल जाय धरा, अब रूप धरो पर्वताकार !
धधका दो ऐसा क्रोधानल, पापी हो जाये क्षार-क्षार !!
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दम तोड़ रही है मानवता, सभ्यता पड़ी मरणासन पर !
है दीन – हीन गजराज, श्वान जा बैठे हैं सिंहासन पर !
नर-नारायण लो उठा शस्त्र, सीने के कर दो आर-पार !
धधका दो ऐसा क्रोधानल, पापी हो जाये क्षार-क्षार !!

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