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ओ माँ थोड़े दिन सब्र करो अच्छे दिन लेकर आऊँगा !
जो कर्ज दूध का है मुझ पर उसको उतारकर जाऊँगा !!
जो भी तूफाँ आये उसको अपनी छाती सह जाऊँगा !
ओ माँ थोड़े दिन सब्र करो अच्छे दिन लेकर आऊँगा !
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हैं सवा अरब मेरे भाई, दादा-दादी – ताऊ-ताई !
अरि की मजाल क्या तन छू ले, छू भी न सकेगा परछाईं !
नभमंडल में घन के ऊपर चढ़ मैं दुन्दुभी बजाऊँगा !
ओ माँ थोड़े दिन सब्र करो अच्छे दिन लेकर आऊँगा !
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कुछ पुत्र तुम्हारे, अहंकार में डूब, मनुजता को भूले !
टुकड़ो में तुझको बाँट रहे, सत्ता मद में फूले-फूले !!
बस कुछ दिन सुख-निद्रा ले लें, उनको भी सबक सिखाऊंगा !
ओ माँ थोड़े दिन सब्र करो अच्छे दिन लेकर आऊँगा !
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सूखे अधरों पर जीभ फेर, ओ माँ थोड़ा सा हँस दो ना !
उर के उत्तप्त धरातल को थोड़ा सा शीतल कर दो ना !!
बेबस आशंकित नयनों के आंसू मै देख न पाऊँगा !
ओ माँ थोड़े दिन सब्र करो अच्छे दिन लेकर आऊँगा !
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