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अन्ना जी के आन्दोलन ने सम्पूर्ण देश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध जागरूकता की जो मशाल जलाई, उसने धीरे-धीरे अपना ज्वलंत रौद्र रूप दिखाना प्रारम्भ कर दिया है ! वर्तमान में इस आन्दोलन की दिशा थोड़ी बदल गई है ! अरविन्द केजरीवाल और अन्य लोगों ने एक दिशा पकड़ी है, और अन्ना जी ने दूसरी ! यानी भ्रष्टाचार के गले में कसने के लिए अब दो फाँसी के फंदे तैयार होते जा रहे हैं ! एक तीसरा सशक्त फंदा भी है, बाबा रामदेव जी का ! भ्रष्ट आचारहीन नेताओं और अवसरवादी पार्टियों को भी यह दिखने लगा है कि उनके दिन अब लदने वाले हैं ! क्या भाजपा, क्या सपा, क्या बसपा या अन्य अवसरवादी धोखेबाज पार्टियां, सभी तिलमिला रही हैं !
तात्कालिक कुछ घटनाओं ने कांग्रेस को तो बेइज्जत किया ही, भाजपा की भी पोल खुलने लगी है ! उसका मुखौटा चेहरे से खिसकने लगा है, भ्रष्टाचार के विरुद्ध दिखावटी लड़ाई की पोल खुलने लगी है, मुखौटे के पीछे का कुरूप चेहरा सामने आने लगा है !
श्री केजरीवाल द्वारा कांग्रेस के रिश्तेदार श्री बढेरा पर जो आरोप लगाए गए हैं, और जिस शिद्दत से कांग्रेसी मंत्रियों द्वारा उसे दबाने या छिपाने कि कोशिश की जा रही है, उसकी सच्चाई में जनता को कोई संदेह नहीं है ! हम कोई सामान्य सा भी व्यापार करते हैं तो व्यवसाय के अनुरूप सहायक स्टाफ भी रखने पड़ते हैं, पर आश्चर्य है कि श्री बढेरा के सम्पूर्ण व्यापार में स्टाफ का सर्वथा अभाव है ! सभी कम्पनियां केवल कागज़ पर ही दिखाई गई हैं, और वे सभी एक ही कार्यालय के पते से संचालित हैं !
उनके बचाव में आये मंत्रियों का कहना है कि वे एक सामान्य नागरिक हैं, और उन्हें व्यापार करने का हक़ है ! पर जब इन्हीं मंत्रियों से यह पूछा जाता है कि अगर वे एक सामान्य नागरिक हैं तो उन्हें एस०पी०जी० सुरक्षा क्यों प्रदान की गई है ! वह भी सरकारी खर्च पर ! एक वर्ष में सरकार उनकी सुरक्षा पर जितना व्यय कर रही है, उतने में एक हजार सामान्य परिवारों का भरण-पोषण हो जाय ! उन्हें एयर पोर्ट पर किसी भी तरह की जांच से मुक्त रखा गया है, जो हमारे सवा अरब आबादी वाले देश में सिर्फ ढाई दर्जन लोगों को ही प्राप्त है ! जो व्यक्ति मात्र पचास लाख कि पूँजी लगाकर चार साल में ३०० करोड़ कमा सकता है, वह सामान्य व्यक्ति कैसे हुआ ? और इतने काबिल व्यक्तियों के रहते हुए भी हमें विदेशी पैसे की आवश्यकता क्यों पड़ती है ? देश इन सवालों का जवाब चाहता है ?
मीडिया चैनल पर जब कांग्रेसी नेताओं से इसका जवाब माँगा जाता है तो वे या तो गोल-मोल उत्तर देकर कतराने की कोशिश करते हैं या फिर विक्षिप्तों की तरह चिल्लाने लगते हैं ! पर चिल्लाने से क्या उनके अपराध दब जायेंगे ? आज नहीं तो कल उन्हें इन सबका जवाब देना ही होगा !
इन सब राजनैतिक परिदृश्यों में अगर सबसे हास्यास्पद और संदेहास्पद स्थिति किसी की हुई है तो वह है भाजपा ! भाजपा को कम से कम अब तो अपने जमीर को टटोलना चाहिए और वास्तविकता के धरातल पर उतरना चाहिए ! उनकी भ्रष्टाचार के प्रति लड़ाई की झूठी और दिखावटी प्रतिबद्धता की बात अब जनता के सामने उजागर हो गई है ! पूर्व में कई भाजपा नेताओं ने बड़े-बड़े भंडाफोड़ के वादे किये, पर किया कुछ नहीं ! श्री अडवानी जी ने रथ निकाला ! रथ निकालने से कहीं भ्रष्टाचार दूर होता है ? महंगाई के विरुद्ध रैली निकाली ! हासिल क्या हुआ ? हम जनता इन रथों- रैलियों से ऊब चुके हैं ! आज जनता से जुडी समास्याओं पर ठोस और कारगर पहल चाहिए ! खोखली बातें नहीं !
श्री केजरीवाल ने जो वास्तविक सक्रियता दिखाई है, बिजली को लेकर, भ्रष्टाचार को लेकर, घोटालों को लेकर, वह सक्रियता अगर भाजपा ने दिखाई होती, तो आज परिदृश्य कुछ और होता ! पर सभी पार्टियां केवल बातों कि ही वीर हैं ! कथनी कुछ – करनी कुछ ! अब जब भाजपा को लग रहा है कि केजरीवाल की वास्तविक सक्रियता और उनको मिलनेवाला समर्थन कहीं उनसे उनका उनका जनाधार न छीन ले वे भी हड़बड़ी में उठ खड़े हुए हैं ! तभी तो आज दिल्ली में विद्युत् नियामक के समक्ष प्रदर्शन करने उनके नेता विजय गोयल जी पहले ही पहुँच गए और रोने-धोने का जो हास्यास्पद फ़िल्मी ड्रामा किया उसे टीवी पर सम्पूर्ण देश ने देखा और अपना मनोरंजन किया ! हिमाचल के मुख्यमंत्री का बयान और श्री केजरीवाल का जवाब भी भाजपा को ही घायल करता दिखा !
देश कि जनता बधाई देती है श्री केजरीवाल और उनकी टीम के सदस्यों को ! उनकी हिम्मत और उनकी स्पष्ट बातों ने भाजपा कि कलई खोल दी है ! आज देश को ऐसे ही स्पष्टवादी और निडर नेतृत्व कि आवश्यकता है, जो किसी की चापलूसी न करे, किसी के तलवे न सहलाए, किसी के इशारे पर न चले बल्कि निडरता पूर्वक वास्तविक जनसमस्याओं की बात करे !
यद्यपि कि अभी जनता पेशोपेश में है ! लम्बी – डरावनी – काली रात के साये में रहने की आदी हो चुकी जनता अभी सच्चाई के सूर्य की किरणों पर एकाएक विश्वास नहीं कर पा रही है, पर धीरे-धीरे किरणें जब प्रखर होंगी और उजाला फैलना शुरू होगा, तो विश्वास भी करना पडेगा !
अंत में …………..
“वार पडा है सिर पर, सब तिलमिला रहे हैं !
आग लग गई दुम में, सब बिलबिला रहे हैं !!””
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