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पिछले कुछ वर्षों में इतने ज्यादा घपले-घोटालों के मामले सामने आये हैं कि अब उन्हें याद रखना भी मुश्किल हो गया है ! बहुत पिछले घोटालों की बात छोड़ दें तो भी टूजी घोटाला, सी डब्लू जी घोटाला , सिंचाई घोटाला, खाद्यान्न घोटाला, एन आर एच एम् घोटाला, मनरेगा घोटाला, कोयला घोटाला, सामुद्रिक खनिज संपदा घोटाला और भी न जाने कितना घोटाला ! कोई भी घोटाला लाखों और हजारों करोड़ रूपये से कम का नहीं है ! चाहे भाजपा हो चाहे कांग्रेस, सपा हो या बसपा – सभी पर कालिख लगी हुई है !
मजेदार बात यह है कि इन घोटालों के उजागर होने के बाद भी नेता, मंत्री या सरकारें इसे सिरे से नकार देती हैं ! कोई घोटाला नहीं हुआ, कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ ! सब कुछ ठीक है ! ऐसा कहने लगती हैं ! जिन घोटाला के प्रत्यक्ष सबूत सार्वजनिक किये जाते हैं, उन्हें भी नकार देती है ! इन सबके बावजूद कहते है कि देश में क़ानून का राज है, संविधान सर्वोपरि है !
अभी तक तो इस भ्रष्टाचार की नदी में मगरमच्छ के रूप में कांग्रेस का ही नाम रहा, पर माननीय गडकरी जी के खुलासे से तो देश सन्न रह गया है ! दिमाग सुन्न हो गया है ! लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या हो रहा है ? इन राजनेताओं के भ्रष्टाचार की जड़े कितनी गहरी हैं ? क्या इनकी नैतिकता बिलकुल समाप्त हो गई है ? क्या सचमुच ये इतने बेगैरत – इतने बेशर्म हो गए हैं कि प्रत्यक्ष प्रमाण सहित लगे आरोपों को भी झुठलाने की हिम्मत रखते हैं ? कांग्रेस के दामाद राबर्ट बढेरा, विकलांगों के हक़ का पैसा खाने वाले सलमान खुर्शीद, सेब के पेड़ पर पैसा उगाने वाले वीरभद्र सिंह, और अब चाल-चरित्र और चेहरे कि शुचिता वाली पार्टी के श्रीमान गडकरी जी ! जिस भाजपा पर देश कि जनता उम्मीद लगाए बैठी थी, वह भी इस लूट-खसोट में शामिल है ! आश्चर्य यह कि आर एस एस जो देशभक्तों की टोली कही जाती है, वह भी सारे मानदंडों को ताक पर रखकर इस आचरण का समर्थन कर रही है ? क्या इन नेताओं और माननीयों का कोई आचरण नहीं रह गया है ? कबतक ये देश कि जनता को अपनी ढिठाई से मूर्ख बनाते रहेंगे ? देश को अन्धकार के दलदल में और गहरे दफ़न करते रहेंगे ? सच्चाई पर झूठ का परदा डालते रहेंगे ?
क्या कांगेस, भाजपा, सपा, बसपा या अन्य किसी भी पार्टी में सच्चाई स्वीकार करने वाला एक भी नेता नहीं है ? अगर है तो क्यों नहीं वह सामने आता ? खुलकर अपनी पार्टी के कारनामों का क्यों नहीं विरोध करता ? क्या देश हित से बड़ा पार्टी हित हो गया है ? आश्चर्य है कि इतने बड़े-बड़े और सबूतों के साथ उजागर हुए घोटालों का विरोध उन पार्टियों की विरोधी पार्टी तो कर रही है, पर सबकुछ जानते हुए भी उस पार्टी का कोई नेता आजतक कुछ नहीं बोला ? क्या सभी इतने डरपोक और कायर हो गए हैं ? या स्वार्थ में अंधे हो गए हैं ? क्यों सच को सच और झूठ को झूठ कहने में कतरा रहे हैं ? क्या सब के सब इन घोटालों में संलिप्त हैं ?
क्या केजरीवाल जी की बात सत्य है कि सभी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं ? अन्दर-अन्दर सभी एक-दूसरे से मिले हुए हैं ! अभी तक उनकी बात तो सत्य ही सिद्ध हुई है ! ए राजा, कनिमोझी, कलमाड़ी, शीला दीक्षित, सलमान खुर्शीद, राबर्ट बढेरा आदि की श्रेणी में अब श्रीमान गडकरी जी भी आ गए ! कितने बड़े और मोहक जाल बुने हैं इन लोगों ने ! सिंचाई परियोजना के नाम पर पहले जमीन हडपी ! सरकारी पैसे से कैनाल बनवाया , जिससे निर्बाध जलापूर्ति हो ! पर यह निर्बाध जलापूर्ति किसानों को नहीं बल्कि उनकी अपनी परियोजनाओं को हो ! हद है ! कितने धूर्त हैं ये, और इन्हीं धूर्तों के हाथ में सम्पूर्ण व्यवस्था है !
कितना नीचे गिरना अभी बाकी है ? देश को और कितने गहरे अँधेरे में ये ले जायेंगे ? कब होगा इनका सत्यानाश ? देश की जनता इन सम्पूर्ण घटनाओं को देख रही है, और यही सोच रही है कि काश आज सैकड़ों अन्ना होते, हजारों केजरीवाल होते तो कितना अच्छा होता ! अब समय आ गया है इन पार्टियों के दलदल से निकलने की बात सोचने का, इनके झूठे वादों के मोहक जाल को तोड़कर फेकने का, एक नए नेतृत्व के समर्थन का, एक नयी राह पर कदम बढ़ाने का, ताकि हम और हमारी अगली पीढ़ी एक नए भ्रष्टाचार मुक्त समाज में सांस ले सके !
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